नई दिल्ली: म्यांमार में रोहिंग्या नेता अब्दुल राशिद (Rohingya Leader Abdul Raashid) म्यांमार में जन्मे और उनके पास यहां की नागरिकता (Citizen of Myanmar) भी है. रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यक आबादी में बहुत कम लोगों के पास म्यांमार की नागरिकता है, उन चंद लोगों में से अब्दुल ऐसे हैं जिनके पास यहां की नागरिकता है. अब्दुल के पिता सिविल सर्वेंट थे. अब जब देश में नवंबर में चुनाव होने जा रहा है तब बिजनेसमैन अब्दुल को इलेक्शन यह कहकर नहीं लड़ने दिया जा रहा है कि वे विदेशी मूल के हैं।
राशिद उन दर्जनों म्यांमार नागरिकों में से हैं जो रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं और जिनका आवेदन खारिज कर दिया गया है. म्यांमार में 8 नवंबर को आम चुनाव होना है. आम चुनाव में यह उम्मीद की जा रही है कि नॉबेल विजेता आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) के नेतृत्व में लोकतांत्रिक सरकार बनेगी।
अब तक छह रोहिंग्या नेताओं के आवेदन सरकारी अधिकारियों ने खारिज कर दिए हैं. ये नेता यह साबित नहीं कर पाए कि उनके जन्म के समय उनके मां-पिता म्यांमार के नागिरक थे या नहीं? आम चुनाव में हरेक आवेदक को इस बात का प्रमाण-पत्र देना होता है कि उनके जन्म के समय उनके पिता म्यांमार के नागरिक थे।
यह चुनाव इस मायने में महत्वपूर्ण है कि म्यांमार से सेना के शासन की विदाई होगी और लोकतांत्रिक सरकार बनेगी. हालांकि रोहिंग्या मुसलमान नेताओं पर चुनाव लड़ने की यह रोक लोकतंत्र की सीमाओं को कमतर करेगा।
ब्रिटेन में बर्मा रोहिंग्या संगठन के प्रमुख थुन खिन ने कहा कि म्यांमार में हर नागरिक के लिए जातीयता और धर्म का कोई मतलब नहीं है. यहां चुनाव में सभी को भाग लेने का अवसर मिलना चाहिए।
अब्दुल राशिद ने कहा कि हमारे पास सरकार द्वारा जारी सभी तरह के दस्तावेज हैं लेकिन इसके बावजूद सरकारी अधिकारी इस बात को नहीं स्वीकार कर रहे हैं कि मेरे पैरेंट्स म्यांमार के नागरिक थे. मैं इसे लेकर बहुत खराब महसूस कर रहा हूं और इस बारे में चिंतित भी हूं।